. स्मार्टफोन के हद से ज्यादा इस्तेमाल का आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ता है यह तो सभी जानते हैं, लेकिन एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया है कि यह टीनेजर्स की मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित कर सकता है। केनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में छपे इस अध्ययन में सिर्फ स्मार्टफोन के इस्तेमाल को ही लिया गया था, फोन पर खेले जाने वाली गेम्स को नहीं।
द हॉस्पिटल ऑफ सिक चिल्ड्रन के इस अध्ययन के मुताबिक बच्चों के पैरेंट्स और टीचर्स को टीनेजर्स की नींद, स्कूल-कॉलेज के काम, सोशल एक्टिविटी, ऑनलाइन एक्टिविटी के बीच बैलेंस बनाने में मदद करनी चाहिए। सिक किड्स हॉस्पिटल और टोरंटो वेस्टर्न हॉस्पिटल यूनिवर्सिटी की डॉ. इलिया एबी के मुताबिक टीचर्स, परिवार वालों और डॉक्टर्स को स्मार्टफोन के हानिकारक प्रभावों से बच्चों को बचाने के लिए मिलकर कोई हल ढूंढ़ना चाहिए।
आज के युवाओं के लिए डिजिटल ही दुनिया है
- एबी ने बताया, हमारे अध्ययन में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें वे सभी जरूरी मुद्दे थे जो लगभग हर किसी के लिए परेशानी का विषय हैं, जैसे क्या सोशल मीडिया बच्चों को खुद को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाता है? क्या स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल का मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है? सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के इस्तेमाल से टीनेजर्स की नींद कैसे प्रभावित होती है। क्या कुछ टीनेजर्स के मानसिक स्वास्थ्य पर बाकी के मुकाबले ज्यादा असर पड़ता है। इसमें हमने जाना कि यूथ की दुनिया स्मार्टफोन में बस गई है जिस कारण उनमें चिड़चिड़ापन, गुस्सा करने और तनाव की समस्या देखने को मिलती है।
- आज के युवाओं के लिए सोशल मीडिया और मोबाइल फोन के अलावा और कोई दुनिया नहीं है। उनके लिए सब कुछ डिजिटल है, चाहे दोस्ती हो या प्यार, हेल्थ के बारे में कुछ जानना हो या अपनी भावनाएं जाहिर करनी हों, वे सब सोशल मीडिया पर ही करते हैं। अमेरिका में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि 54 फीसदी टीनेजर्स मानते हैं कि वे स्मार्टफोन पर ज्यादा वक्त बिताते हैं और आधे से ज्यादा ने माना कि वे इसके इस्तेमाल को कम करने के बारे में सोच रहे हैं।